कोरोना काल में इंटर्न डॉक्टरों ने मरीजों की मुश्किलें बढ़ाई

लखनऊ - केजीएमयू के इंटर्न डॉक्टर भत्ता (स्टाइपेंड) बढ़ाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। कई विभागों में मरीजों का काम रेजिडेंट डॉक्टरों के हवाले कर इंटर्न धरने पर बैठ गए हैं। इंटर्न डॉक्टरों का आरोप है कि शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगाई। इसके बावजूद भत्ते के मसले पर सुनवाई नहीं हुई।केजीएमयू में 250 एमबीबीस व बीडीएस इंटर्न डॉक्टर हैं। मंगलवार को इंटर्न डॉक्टरों ने परिसर में घूमकर भत्ता बढ़ाने की मांग संबंधी नारे लगाए। उसके बाद गेट नम्बर एक के पास छत्रपति शाहू जी महाराज की प्रतिमा के सामने धरना दिया। एमबीबीएस व बीडीएस इंटर्न डॉक्टरों ने कहा कि पिछले 10 सालों से भत्ता में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। जबकि महंगाई में कई गुना इजाफा हुआ है। हमें केवल 7500 रुपये प्रतिमाह मिल रहा है।इंटर्न डॉ. अमर पाल यादव का कहना है कि रोज के हिसाब से 250 रुपये ही स्टाइपेंड प्रदान किया जा रहा है। जो कि दैनिक मजदूर से भी कम है। हमें इतना कम भत्ता क्यों प्रदान किया जा रहा है? इस संबंध में इंटर्न डॉक्टरों ने केजीएमयू कुलपति, सीएमएस, कुलसचिव व चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक व शासन को ज्ञापन सौंपा।डॉ. मनोज, डॉ. पप्पू चौरसिया और अभिषेक श्रीवास्तव का कहना है कि सरकार हमें कोरोना वॉरियर्स कहती है। दूसरी तरफ इन्ही वारियर के साथ अन्याय हो रहा है। इंटर्न डॉक्टरों ने केंद्रीय चिकित्सा संस्थान व दूसरे मेडिकल संस्थानों की भांति 23500 से 30 हजार रुपये देने की मांग की है। सरकार हमारी उपेक्षा बंद करें। अन्यथा हम लोग भी कार्यबहिष्कार को मजबूर होंगे।

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