इंडिया स्टैक नॉलेज एक्सचेंज’ के दूसरे दिन स्वास्थ्य विपुलता, कृषि विपुलता, कौशल विपुलता और डिजिटल समावेश पर गहन चर्चा हुई और सम्बंधित जानकारियों को साझा किया गया


भारत विपुलता के कारण 9800 से अधिक अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं की स्थापना संभव हुई
फ्रूट्स (एफआरयूआईटीएस), किसान सारथी, ई-नाम, एम4एग्री और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसे डिजिटल समाधान भारत डिजिटल कृषि इको-सिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव के सूत्रधार


चार जुलाई से नौ जुलाई, 2022 तक मनाये जाने वाले डिजिटल भारत सप्ताह समारोह के अंग के रूप में “इंडिया स्टैक नॉलेज एक्सचेंज” (भारत जान विपुलता आदान-प्रदान) का सात जुलाई से नौ जुलाई, 2022 तक आयोजन किया जा रहा है। यह तीन दिवसीय विशेष आयोजन है। इस दौरान वर्चुअल कार्यक्रम के तहत आठ जुलाई, 2022 को चार सत्र होंगे।

स्वास्थ्य विपुलता

‘स्वास्थ्य विपुलता’ विषय पर पहला सत्र आयोजित किया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. आरएस शर्मा ने को-विन और उसके विस्तार पर चर्चा की कि किस तरह इसके जरिये कोविड़ की दो अरब खुराकों की आपूर्ति की गई। उन्होंने बताया कि को-विन प्लेटफॉर्म इतना सक्षम है कि वह एक दिन में 25 मिलियन एपीआई की संभाल कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफेस विभिन्न स्वास्थ्य सुविधा प्रणालियों को एक साथ लायेगा, ताकि हितधारकों के लिये साझा इंटरफेस उपलब्ध हो सके। एनएचए के अतिरिक्त सीईओ और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के मिशन निदेशक डॉ. प्रवीण गेदाम ने एबीडीएम के बारे में बताया। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड और डिजिटल स्वास्थ्य इको-सिस्टम में उसकी भूमिका के महत्त्व को रेखांकित किया। एनआईसी की डीडीजी डॉ. सीमा खन्ना ने आरोग्य सेतु की संरचना, 216 मिलियन डाउनलोड के हवाले से उसके प्रभाव और उसमें निजता की सुरक्षा के बारे में बताया। सी-डैक के परियोजना निदेशक डॉ. संजय सूद ने सत्र का संचालन किया तथा ई-संजीवनी की चर्चा की कि उसने किस तरह टेली-मेडिसिन का समाधान प्रस्तुत किया और जिसकी जरिये चिकित्सा परामर्श करने से 8.1 मिलियन लोगों को फायदा मिला।

इस सत्र के बाद दो समानान्तर सत्रों का आयोजन किया गया, जो ‘कृषि विपुलता’ और ‘कुशलता के लिये प्रौद्योगिकी विपुलता’ विषयों पर आधारित थे।

कृषि विपलुता

सी4आईआर इंडिया, विश्व आर्थिक मंच के मुख्य सलाहकार श्री जे. सत्यनारायणन ने “आईडिया-इंडिया डिजिटल इको-सिस्टम फॉर एग्रीकल्चर” विषय पर प्रमुख वक्तव्य दिया। उन्होंने भारत में कृषि क्षेत्र द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों तथा आइडिया के मूल्याधारित समाधानों के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आइडिया के साथ “प्रणालीगत सोच” से “इको-प्रणालीगत सोच” की तरफ बढ़ने की जरूरत है। कृषि विपुलता सत्र का संचालन एनआईसी की वरिष्ठ डीडीजी डॉ. रंजना नागपाल ने किया। पैनल में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रमुख ज्ञान अधिकारी व सलाहकार श्री राजीव चावला, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एनई-जीडी के मुख्य परिचालन अधिकारी डॉ. विनय ठाकुर तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के निदेशक डॉ. कपिल अशोक बेंद्रे जैसे दिग्गज शामिल थे। पेनल ने किसान डेटाबेस, किसान पहचान पत्र, किसान केंद्रित प्रणालियों तथा डेटाबेसों के एकीकरण की जरूरत पर चर्चा की। वास्तविक किसानों की पहचान करने और उन तक सेवायें पहुंचाने की चुनौतियों का भी जायजा लिया गया। इन विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ तथा एफआरयूआईटीएस-फ्रूट्स (फार्मर रजिस्ट्रेशन एंड यूनीफाइड बेनीफिशयरी इंफर्मेशन सिस्टम) के जरिये समाधान पर जोर दिया गया।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड की उपादेयता, पूरे भारत में उसके विस्तार, सफलता की कहानियों और संभावित सक्षम मामलों पर चर्चा की गई। इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नाम), 25 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 1260 कृषि बाजारों तक उसके विस्तार के बारे में बताया गया। एम4एग्री और किसान सारथी जैसे मोबाइल एप्प तथा छह उत्तर-पूर्व राज्यों में उसके परिचालन की स्थिति पर भी बात की गई। पेनल ने अंत में कृषि-सम्बंधी प्रणालियों के एकीकरण का उल्लेख करते हुय कहा कि आइडिया के तहत आगे बढ़ने के लिये ये प्रणालियां जरूरी हैं।

कौशल विपुलता

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. जयदीप कुमार मिश्रा ने कुशलता के लिये प्रौद्योगिकी विपुलता सत्र का संचालन किया। क्षमता निर्माण आयोग के सचिव श्री हेमांग जानी, नीति आयोग की निदेशक-एआईएम सुश्री दीपाली उपाध्याय और नेस्सकॉम-फ्यूचर स्किल्स की सीईओ सुश्री कीर्ति सेठ ने पेनल आधारित सत्रों में हिस्सा लिया। उन सब ने मिशन कर्म योगी, अटल टिंकरिंग प्रयोगशला, फ्यूचर स्किल प्राइम, डिजिटल साक्षरता, प्रौद्योगिकी के माध्यम से क्षमता निर्माण और आई-जीओटी के बारे में अपने विचार रखे। सत्र में बताया गया कि 9800 से अधिक अटल टिंकरिंग प्रयोगशालायें प्रौद्योगिकी विपुलता और सरकार तथा बाहरी एजेंसियों द्वारा विकसित अन्य प्लेटफार्मों की बदौलत ही संभव हुईं।

इस दिन का अंतिम सत्र ‘डिजिटल समावेश और संपर्क-विहीन को जोड़ना’ विषय पर हुआ।

डिजिटल समावेश और संपर्क-विहीन को जोड़ना

इस सत्र का संचालन इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री सुशील पाल ने किया। विचारोत्तजक पेनल चर्चा में माय-गव के सीईओ श्री अभिषेक सिंह, कॉमन सर्विस सेंटर के सीईओ श्री संजय कुमार राकेश, एनई-जीडी के अतिरिक्त निदेशक श्री अनिल अग्रवाल और सी-डैक की वरिष्ठ निदेशक डॉ. पद्मजा जोशी ने हिस्सा लिया। पैनल ने डिजिटल समावेश से जुडी चुनौतियों और माय-गव, सीएससी, उमंग और एम-सेवा एप्प स्टोर पर गहन विचार-विमर्श किया। सत्र इस नतीजे पर पहुंचा कि सेवाओं की कारगर आपूर्ति को सक्षम बनाने में तकनीकी चुनौती शोचनीय नहीं है, बल्कि इसके जरिये प्रक्रिया को दुरुस्त बनाने, हितधारकों के प्रबंधन और उनके क्षमता निर्माण के लिये प्रयास किये जा सकते हैं।

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