केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू होने के बाद 20 दिनों की अवधि में केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के लिए 25 लाख डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) बनाने के लिए पेंशन विभाग की सराहना की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए कहा कि पेंशन विभाग ने 01 से 19 नवंबर, 2022 तक पूरे भारत के विभिन्न शहरों में, उत्तर में श्रीनगर से लेकर दक्षिण में नागरकोइल (कन्याकुमारी जिला) तक और पूर्व में गुवाहाटी से लेकर पश्चिम में अहमदाबाद तक विशेष जागरूकता शिविरों का आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि 25 लाख डीएलसी में से 2.20 लाख का निर्माण नवीनतम चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक द्वारा चेहरा प्रमाणीकरण करते हुए बनाए गए हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि इस राष्ट्र व्यापी अभियान का उद्देश्य चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक और डीएलसी के उपयोग को बढ़ावा देना है, जिससे पारदर्शिता और ‘उपयोग में आसानी’ सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि सभी पंजीकृत पेंशनभोगी संघों, पेंशन वितरण करने वाले बैंकों, भारत सरकार के मंत्रालयों और सीजीएचएस केंद्रों को पेंशनभोगियों को ‘ईज ऑफ लिविंग’ प्रदान करने के लिए विशेष शिविरों का आयोजन करके जीवन प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट/ चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक को बढ़ावा देने का निर्देश दिया गया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब तक दिल्ली, नोएडा, चंडीगढ़, मोहाली, जम्मू, श्रीनगर, नागपुर, पुणे, इलाहाबाद, जालंधर, ग्वालियर, त्रिशूर, मदुरै, नागरकोइल, वड़ोदरा, अहमदाबाद, गुवाहाटी, हैदराबाद, अंबरनाथ (मुंबई), भुवनेश्वर, बालासोर, कटक, तिरूवनंतपुरम और जयपुर जैसे विशेष शहरों को कवर किया गया है। उन्होंने कहा कि अगले दो सप्ताह में यह विभाग देश के विभिन्न हिस्सों में 14 अन्य डीएलसी जागरूकता शिविरों का आयोजन करेगा। मंत्री ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले पेंशनभोगियों ने इस अभियान की बहुत सराहना की है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पेंशनभोगियों द्वारा जीवन प्रमाणपत्र जमा करना एक महत्वपूर्ण कार्य है, जिसे पेंशनभोगियों द्वारा प्रत्येक वर्ष नवंबर माह में (80 वर्ष और उससे ज्यादा आयु के पेंशनभोगियों के लिए अक्टूबर माह में जीवन प्रमाणपत्र जमा कराने का विशेष प्रावधान है) किया जाता है जिससे उन्हें बिना किसी बाधा के निरंतर पेंशन मिलता रहे। उन्होंने कहा कि पारंपरिक रूप से पेंशनभोगियों को अपना जीवन प्रमाणपत्र जमा कराने के लिए पेंशन वितरण प्राधिकरण जाना पड़ता था, जिसके लिए बैंक शाखाओं में लंबी कतारें लगती थी और इंतजार करना पड़ता था। मंत्री ने कहा कि यह वृद्ध, बीमार और अशक्त पेंशनभोगियों के लिए असुविधाजनक था और पेंशनभोगियों के लिए पेंशन वितरण प्राधिकरण के रिकॉर्ड में अपने जीवन प्रमाणपत्र को अपडेट करने के संबंध में जानकारी प्रदान करने वाला कोई तंत्र नहीं था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बताते हुए गर्व महसूस किया कि पेंशन विभाग इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से आधार डेटाबेस पर आधारित चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक विकसित करने वाला भारत का पहला विभाग है, जो कुछ पेंशनभोगियों को डीएलसी नहीं जमा कर पाने वाली चुनौती से निपटने के लिए किसी भी एंड्रायड आधारित स्मार्ट फोन से जीवन प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकता है।
इस सुविधा के अनुसार, चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक के माध्यम से एक व्यक्ति की पहचान की जाती है और डीएलसी उत्पन्न किया जाता है। उन्होंने कहा कि नवंबर 2021 में इस सफल तकनीक की शुरुआत की गई, जिसने बाहरी बायोमेट्रिक उपकरणों पर पेंशनभोगियों की निर्भरता को कम किया और स्मार्टफोन-आधारित तकनीक का लाभ उठाकर इस प्रक्रिया को ज्यादा सुलभ और किफायती बनाया। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों को ‘ईज ऑफ लिविंग’ प्रदान करने की दिशा में यह एक मील का पत्थर जैसी उपलब्धि है।
डीओपीपीडब्ल्यू के अधिकारियों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के सहयोग से इस राष्ट्रव्यापी अभियान को चलाया गया, जिन्होंने अभियान स्थलों को प्रायोजित किया। इस अभियान में पंजीकृत केंद्र सरकार के पेंशनर संघों, भारतीय डाक और भुगतान बैंक (आईपीपीबी), भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई), राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के साथ-साथ रक्षा लेखा महानियंत्रक (सीजीडीए) के प्रतिनिधियों ने भी प्रत्येक शहर में अपनी सक्रिय भागीदारी की।
डॉ जितेंद्र सिंह ने इस अभियान में बैंकों की पूर्ण भागीदारी के लिए उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि एसबीआई और कुछ शहरों में पंजाब नेशनल बैंक ने विभाग को सहयोग किया है और विभिन्न शहरों में शिविर स्थल प्रदान किया है। अभियान की प्रगति की निगरानी के लिए विभिन्न शहरों में डीओपीपीडब्ल्यू के विभिन्न अधिकारियों को नामित किया गया है।
इस अवसर पर श्री वी श्रीनिवास, सचिव, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग और डीएआरपीजी ने कहा कि केंद्र सरकार पेंशनभोगियों के लिए 'ईज ऑफ लिविंग' को बढ़ावा देने के लिए, डीओपीपीडब्ल्यू डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि शुरूआत में बायोमेट्रिक का उपयोग करके डीएलसी जमा करना शुरू किया गया और उसके बाद विभाग ने डीएलसी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न शहरों में 50 पंजीकृत पेंशनभोगी संघों को शामिल किया।
श्री श्रीनिवास ने कहा कि विभाग ने डीएलसी को ग्रामीण डाक सेवकों की एजेंसी के माध्यम से डोर-स्टेप सेवाओं में शामिल करने के लिए इंडियन पोस्ट एंड पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) को शामिल किया है, जिनकी संख्या 1.9 लाख से ज्यादा है। पेंशन वितरण करने वाले बैंकों को जीवन प्रमाणपत्र के लिए वीडियो आधारित केवाईवी पद्धति को अपनाने का भी निर्देश दिया गया है और 12 बैंकों के एक संघ को डीएलसी के लिए डोर-स्टेप सेवाएं प्रदान करने के लिए कहा गया है। 80 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के अति वरिष्ठ पेंशनभोगियों के लिए, डीओपीपीडब्ल्यू ने इस आयु वर्ग को 01 अक्टूबर से ही अपना एलसी जमा करने की अनुमति प्रदान करने का आदेश जारी किया है जिससे उन्हें एक विशेष खिड़की प्रदान की जा सके और विभिन्न पेंशन वितरण बैंक शाखाओं में भीड़ से बचा जा सके। भारतीय दूतावासों/वाणिज्य दूतावासों को भी सलाह दी गई है कि वे विदेशों में रहने वाले प्रवासी पेंशनभोगियों की सहायता करें जो अब अपने ईमेल पर एक ओटीपी प्राप्त करके डीएलसी दे सकते हैं।
इस उद्देश्य के लिए विकसित किए गए चेहरा प्रमाणीकरण ऐप से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर, एनआईसी ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए इसे शामिल कर लिया। उदाहरण के लिए, जीवन प्रमाणपत्र का ओटीपी प्राप्त करने और उसे डाउनलोड करने के बाद उसे ऐप में खोला जा सकता है और पेंशनभोगियों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर, जीवन प्रमाणपत्र के लिए ओटीपी डालने के तुरंत बाद एक्सेस किया जा सकता है। सभी स्थानों पर भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों ने इस अभियान को बढ़ावा देने के लिए अपनी पूरी क्षमता लगा दी है और उनके अधिकारीगण छुट्टियों के दिन भी इसमें उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। इसी प्रकार, पंजीकृत पेंशनर संघों की भागीदारी अनुकरणीय रही है और उनके प्रतिनिधियों ने एलसी की चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक के बारे में जागरूकता फैलाने में सहायता प्रदान की है।
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