'आर्ट फॉर द वर्ल्ड' द्वारा निर्मित संकलन की नवीनतम फिल्म है – “इंटरेक्शन।“ 6 से 8 मिनट की अवधि की 12 मूल लघु फिल्मों से युक्त, इस फिल्म को एशिया में पहली बार गोवा में चल रहे 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में प्रदर्शित किया गया।
फिल्म में विभिन्न भाषाओं में बनी 12 लघु कथाएँ हैं। मोरक्को, इटली, फ्रांस, ब्राजील, आर्मेनिया, स्विटजरलैंड, बुर्किना फासो, मैक्सिको, अमेरिका, ग्रीस और भारत के फिल्म निर्माता इस परियोजना जुड़े हुए हैं।
फिल्म के मुख्य साझीदारों में से एक, गेल (इंडिया) लिमिटेड के प्रतिनिधि रूपेश कुमार ने कहा कि 12 फिल्में विविध विषयों की खोज करती हैं, जैसे कि पशुओं के साथ दुर्व्यवहार, वनों की कटाई, जलवायु पर अत्यधिक प्रभाव, जानवरों के निवास-स्थान का विनाश, प्रजातियों का विलुप्त होना और समुद्री जीवन प्रदूषण।
फिल्म के निर्माताओं में से एक मनबेंदु रथ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर एक स्पष्ट संदेश देने का प्रयास किया गया है, ताकि यह अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे।
12 लघुकथाओं में भारत का प्रतिनिधित्व, नीला माधब पांडा के ‘एलीफैंट इन द रूम’ के माध्यम से किया गया है। फिल्म निर्माता मानवता से जंगल और जैव विविधता को संरक्षित करने की अपील करते हैं।
फिल्म के प्रोडक्शन कंसल्टेंट प्रोतीक मजूमदार ने कहा, “द एलिफेंट इन द रूम” में, दक्षिणी भारत में केरल राज्य के वायनाड के जंगलों में बसे एक छोटे से गांव के छोटे बच्चों की नज़र से मानव-पशु की पारस्परिक-क्रियाओं की कहानी का वर्णन है। इन हाथियों के साथ बड़े होते हुए बच्चे हाथियों के साथ एक विशेष बंधन विकसित कर लेते हैं और जंगल व जैव विविधता को संरक्षित करते हुए, मानव-वन्य पशु संघर्ष को हल करने के तरीके के सम्बन्ध में एक अनूठी अपील करते हैं।
“आर्ट फॉर द वर्ल्ड” एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) है, जो संयुक्त राष्ट्र के सार्वजनिक सूचना विभाग (यूएनडीपीआई) से जुड़ा है। जिनेवा, स्विटज़रलैंड में स्थित यह संगठन कला व संस्कृति और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक मंच प्रदान करता है, जो मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अनुच्छेद 27 से प्रेरित है - "प्रत्येक व्यक्ति को समुदाय के सांस्कृतिक जीवन में स्वतंत्र रूप से भाग लेने, कला का आनंद लेने और वैज्ञानिक प्रगति तथा इसके लाभों में साझा करने का अधिकार है।"
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