वर्ष 2020 के दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होने के अपने अनुभव को साझा करते हुए, दिग्गज अभिनेत्री सुश्री आशा पारेख ने कहा कि एक लंबे समय के बाद एक महिला को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार को पाने पर अपने आश्चर्य और खुशी को व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “मैं यह पुरस्कार पाने वाली पहली गुजराती भी हूं। तो यह मेरे लिए एक बहुत बड़ी बात थी, लेकिन इसे दिमाग में अंकित होने में दो दिन लग गए। मैं सबसे पहले ईश्वरकी आभारी थी क्योंकि यह मेरे लिए बहुत बड़ी अप्रत्याशित घटना थी।” सुश्री आशा पारेख आज गोवा में 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ‘इन-कन्वर्सेशन’ सत्र में बोल रही थीं।
वर्ष 2020 का दादा साहब फाल्के पुरस्कार सुश्री आशा पारेख को भारतीय सिनेमा में उनके अविस्मरणीय के योगदान के लिए प्रदान किया गया था। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा 30 सितंबर, 2022 को नई दिल्ली में आयोजित 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में उन्हें सिनेमा के क्षेत्र में भारत के इस सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
फिल्म अभिनेत्री आशा पारेख 53वें आईएफएफआई, गोवा के वार्तालाप सत्र में अपने विचार व्यक्त करती हुईं
वार्तालाप सत्र के दौरान सुश्री आशा पारेख ने कटी पतंग, तीसरी मंजिल, दो बदन, मैं तुलसी तेरे आंगन की, बहारों के सपने जैसी विभिन्न फिल्मों में काम करने के अपने व्यापक अनुभव के बारे में बताया।
प्रसिद्ध अभिनेत्री सुश्री आशा पारेख ने यह भी बताया कि किस तरह से उन्होंने अभिनय के अलावा टीवी निर्देशन और प्रोडक्शन में भी अपना करियर बनाया। उन्होंने कहा कि गुजराती धारावाहिक (सीरियल) ‘ज्योति’, जो काफी सफल रहा, ने उनमें आत्मविश्वास जगाया। इस टीवी सीरियल ने उन्हें और भी अधिक टीवी धारावाहिक पेश करने के लिए प्रेरित किया। सुश्री आशा पारेख को उनके टीवी सीरियल ‘कोरा कागज’ के लिए सबसे अधिक याद किया जाता है। सुश्री आशा पारेख द्वारा छोटे पर्दे पर प्रस्तुत किए गए अन्य टीवी धारावाहिकों में बाजे पायल, दाल में काला, और कुछ पल साथ तुम्हारा शामिल हैं।
53वें आईएफएफआई, गोवा के “इन-कन्वर्सेशन” सत्र में अभिनेत्री सुश्री आशा पारेख और कार्यक्रम-संचालिका सुश्री भावना सोमाया
सुश्री आशा पारेख ने फिल्म उद्योग से संबंधित विभिन्न संगठनों और संघों के साथ अपने जुड़ाव के बारे में बात की। वे 1994 से 2000 तक सिने आर्टिस्ट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष रहीं। वे भारत के केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) की पहली महिला चेयरपर्सन भी थीं, जिन्होंने 1998- 2001 तक मानद पद संभाला था। उन्होंने सिने और टेलीविज़न आर्टिस्ट एसोसिएशन (सीआईएनटीएए) के कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य किया था।
सुश्री आशा पारेख एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री, निर्देशक, निर्माता और एक निपुण भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना हैं। एक बाल कलाकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत करते हुए उन्होंने ‘दिल देके देखो’ में पहली बार मुख्य नायिका की भूमिका निभायी और 95 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। उन्होंने कटी पतंग, तीसरी मंजिल, लव इन टोक्यो, आया सावन झूम के, आन मिलो सजना, मेरा गांव मेरा देश जैसी प्रसिद्ध फिल्मों में अभिनय किया है।
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