अपनी फिल्मों एवं रचनात्मक कार्यों के लिए मशहूर पियर पाउलो पसोलिनी के जन्म का यह शताब्दी वर्ष है!

19 साल की उम्र में उस कवि की रचना प्रकाशित हो गई थी, 1954 में उनकी पहली पटकथा आने से पहले ही वह उपन्यास और रचनाएं लिख चुके थे। उनकी पहली फिल्म 'एकाटोन' (1961) उनके अपने उपन्यास पर आधारित थी और इसने आते ही सनसनी मचा दी थी। उन्हें 1962 में गिरफ्तार कर लिया गया और 'रो.गो.पा.जी.' (1963) में उनके काम को ईशनिंदा माना गया। 'दि गॉस्पेल एकॉर्डिंग टू सेंट मैथ्यू' (1964) ने बाइबिल की कहानी को पूरी तरह से यथार्थवादी शैली में पेश किया। परदे पर ईसा मसीह के बारे में ईमानदारी से चित्रण करने पर उन्हें खूब प्रशंसा मिली। वह कोई और नहीं, इटली के जानेमाने फिल्म निर्माता पियर पाउलो पसोलिनी थे।

भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) इस साल इस दिग्गज फिल्म निर्माता को श्रद्धांजलि दे रहा है।

पसोलिनी का फिल्मी करियर विवादों से भरा रहा है। उन्होंने प्राचीन साहित्यिक ग्रंथों का जिस तरह से रूपांतरण किया, उस पर सवाल उठते रहे: ओडिपस रेक्स (1967), दि डिकैमरन (1971), दि कैंटरबरी टेल्स (1972) और अरेबियन नाइटस (1974) प्रमुख थे। उनके काम में मार्क्सवाद, नास्तिकता, फासीवाद और समलैंगिकता पर विवादास्पद विचार झलकते थे। इसमें 'पिगस्टी' और '120 डेज ऑफ सोडोम' (1975) फिल्में भी थीं, जो मुसोलिनी के फासीवादी इटली और 'मारकिस डी साडे' का भयानक मिश्रण लगीं, जिसे इटली और दूसरे देशों में बैन कर दिया गया था।

 

आईएफएफआई-53 में दिखाई जाने वाली पसोलिनी की उत्कृष्ट कृतियां इस प्रकार हैं।

 

एकाटोन: यह 1961 की इतालवी ड्रामा फिल्म है, जिसके लेखक और निर्देशक पसोलिनी थे। इसमें विटोरियो 'एकाटोन' कटालडी की कहानी दिखाई गई है। वह अपनी प्रेमिका मडालेना का दलाल बन जाता है। ठगों के हमले के बाद उसकी प्रेमिका को जेल हो जाती है। इसके बाद एकाटोन के खाने के लाले पड़ जाते हैं, वह अपनी पूर्व पत्नी असेंजा से भोजन का जुगाड़ करने की कोशिश करता है। इसी दौरान उसकी मुलाकात स्टेला से होती है और वह एक बार फिर अपने पुराने धंधे में लौटने की कोशिश करता है।

 

ओडिपस रेक्स/ एडिपो री: इतालवी फिल्म निर्माता की एक और शानदार फिल्म, जिसे दुनियाभर के विभिन्न प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में सम्मानित किया गया है। इसकी कहानी एक ऐसे पिता के इर्द-गिर्द घूमती है जिसे इस बात से ईर्ष्या हो जाती है कि उसका नवजात बच्चा उसकी पत्नी का प्यार बांट लेगा। वह बच्चे को दूर छोड़ने के लिए ले जाता है। प्राचीन ग्रीस की आगे की कहानी में दिलचस्प मोड़ आता है। बच्चे को बचा लिया जाता है और वह राजा कोरिंथ पॉलिबस और महारानी मेरोप के पास पहुंच जाता है। वह अपने बेटे के तौर पर उसे पालते हैं। इस बच्चे को ओडिपस नाम दिया जाता है।

 

पिगस्टी/पोर्सिले: 1969 में बनी इस फिल्म में दो कहानियां दिखाई गई हैं। पहली कहानी एक ऐसे युवा की है जिसने अपने ही पिता की हत्या कर दी है। उसकी काफी आलोचना की जाती है। आखिर में उसे और उसके गैंग को गिरफ्तार किया जाता है और मौत की सजा दे दी जाती है। दूसरी कहानी में, युद्ध के बाद जर्मन उद्योगपति का बेटा जूलियन अपने फार्म में सूअरों के साथ रहता है क्योंकि उसे इंसानों के साथ संबंध रखना पसंद नहीं हैं।

 

दि हॉक्स एंड दि स्पैरोज/यूसिलेसी यूसिलिनी: 1966 की इस फिल्म को समीक्षकों ने काफी सराहा है। यह फिल्म टोटो और उसके बेटे निनेटो के बारे में है, जो रोम और आसपास के इलाकों में घूमते हैं। घूमते हुए एक दिन वे देखते हैं कि हत्या कर एक घर से शव को निकाला जा रहा है। आगे उनसे एक बोलने वाला कौआ मिलता है, जो कहता है, 'उन लोगों के लाभ के लिए जो ध्यान नहीं दे रहे हैं या संदेह में हैं, मैं याद दिलाना चाहता हूं कि कौआ है - जैसा आप कहते हैं - पालमिरो तोगलियाटी की मृत्यु से पहले एक वामपंथी बुद्धिजीवी जीवित था।'

 

दि गॉस्पेल एकॉर्डिंग टू सेंट मैथ्यू/II वेंगलो सेकंडो मैटियो: अंतरराष्ट्रीय सिनेमा की यह मास्टरपीस 1964 में सामने आई। इस फिल्म में ईसा मसीह को दिखाया गया है। रोमन साम्राज्य के समय में, यीशू अपने अनुयायियों के साथ देशभर की यात्रा करते हैं, अंधों को रोशनी देते हैं, मृतकों को जीवन देते हैं और ईश्वर के युग की शुरुआत की बातें होती हैं। वह परमेश्वर की संतान होने का दावा करते हैं जिसके बाद यहूदी लीडर्स के साथ उनका टकराव होता है। उन्हें गिरफ्तार किया जाता है, रोमन के सुपुर्द कर दिया जाता है। उन पर राजद्रोह का आरोप लगता है लेकिन जूडिया के रोमन गवर्नर उन्हें निर्दोष घोषित करते हैं। इसके बावजूद टेंपल के लीडर्स के आदेश पर उन्हें सूली पर चढ़ा दिया जाता है।

 

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