प्रधानमन्त्री की आर्थिक सलाहकार परिषद आधार प्रपत्र ने विश्व सूचकांक में स्वतंत्रता, वी–डीईएम सूचकांक और ईआईयू के लोकतंत्र सूचकांक की समस्याओं का विश्लेषण किया

 प्रधानमन्त्री की आर्थिक सलाहकार परिषद आधार प्रपत्र ने विश्व सूचकांक में स्वतंत्रता, वी–डीईएम सूचकांक और ईआईयू के लोकतंत्र सूचकांक की समस्याओं का विश्लेषण किया

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने अपने सदस्य संजीव सान्याल सदस्य और आकांक्षा अरोड़ा द्वारा तैयार एक आधार प्रपत्र (वर्किंग पेपर) जारी किया है। यह प्रपत्र तीन धारणा आधारित सूचकांकों:फ्रीडम इन द वर्ल्ड इंडेक्स, वी-डीईएम इंडेक्स और ईआईयू डेमोक्रेसी इंडेक्स का विश्लेषण करता है।

प्रधानमन्त्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने निम्नलिखित थ्रेड को ट्वीट किया जो इन धारणा-आधारित सूचकांकों में उपयोग की जाने वाली कार्यप्रणाली के साथ गंभीर समस्याओं का पता लगाता है और यह कहा है कि ' इन सूचकांकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रश्न सभी देशों में लोकतंत्र के मापन के लिए उपयुक्त नहीं हैं'

हाल के वर्षों में, भारत की रैंकिंग और अंकों में कई ऐसे वैश्विक अवधारणा- आधारित सूचकांकों पर गिरावट आई है जो लोकतंत्र, स्वतंत्रता आदि जैसे व्यक्तिपरक मुद्दों से निपटते हैं।

@sanjeevsanyal और @AakankshaArora5 लिखते हैं।

यह आधार प्रपत्र तीन धारणा-आधारित सूचकांकों : फ्रीडम इन द वर्ल्ड इंडेक्स, वी-डीईएम इंडेक्स और ईआईयू डेमोक्रेसी इंडेक्स का विश्लेषण करता है।

विश्व सूचकांक में स्वतंत्रता (फ्रीडम इन द वर्ल्ड इंडेक्स) तथा वी–डीईएम  सूचकांक ने भारत को उसी स्तर पर रखा है जैसा 1970 के दशक के आपातकाल के दौरान था। इसके अलावा, भारत को उत्तरी साइप्रस जैसे देशों से नीचे रखा गया है। अतः निश्चित रूप से यह विश्वसनीय नहीं है।

इन धारणा-आधारित सूचकांकों में प्रयुक्त की गई कार्यप्रणाली में गंभीर विसंगतियाँ हैं। सर्वप्रथम तो  ये सूचकांक मुख्य रूप से अज्ञात "विशेषज्ञों" के एक बहुत छोटे समूह की राय पर आधारित हैं।

दूसरा, जिन प्रश्नों का उपयोग किया गया है वे व्यक्तिपरक हैं और ऐसे उद्देश्यपरक  ढंग  से लिखे गए  हैं कि सभी देशों की तो छोड़ें, इनका किसी देश के लिए भी निष्पक्ष रूप से उत्तर देना असंभव है।

तीसरा, ऐसे भी प्रश्न होते हैं जिन्हें पूछा जाना चाहिए लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया है।

चौथा, इन सूचकांकों में उपयोग किए गए कुछ प्रश्न सभी देशों में लोकतंत्र का उचित मापन नहीं हैं।

चूंकि ये सूचकांक विश्व शासन संकेतकों में इनपुट हैं, अतः  विश्व बैंक को इन संस्थानों से अधिक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना चाहिए।

और इस बीच, मुट्ठी भर पश्चिमी संस्थानों के एकाधिकार को तोड़ने के लिए स्वतंत्र भारतीय थिंक टैंक को शेष विश्व के लिए इसी तरह की धारणा-आधारित सूचकांक बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

इस आधार प्रपत्र को देखने के लिए  :

https://t.co/1WfesgCvir पर पहुंचा जा सकता है I

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001WPGQ.jpg

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