'थ्री ऑफ अस' महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में प्रचलित एक रिलेशनशिप ड्रामा है। इस फिल्म का निर्देशन अविनाश अरुण ने किया है, और इसमें शेफाली शाह, जयदीप अहलावत और अभिनेता-गीतकार स्वानंद किरकिरे मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म के निर्देशक अविनाश अरुण ने कहा, “मैंने अपने बचपन के 3-4 साल कोंकण में बिताए और वहां प्रकृति के साथ मेरी पहली बातचीत हुई। मैंने हमेशा अपनी फिल्मों, खासकर इस फिल्म के माध्यम से खुद में एक बच्चे को तलाशने की कोशिश की है क्योंकि मैं बचपन से ही इस क्षेत्र से जुड़ा हुआ हूं।“ उन्होंने कहा, "मैंने यह फिल्म मराठी फिल्म किल्ला के निर्देशन के 8 साल बाद बनाई है।"
गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के मौके पर पीआईबी द्वारा आज आयोजित 'टेबल टॉक्स' के एक सत्र में मीडिया और फिल्म महोत्सव में पधारे प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए जयदीप अहलावत ने कहा, “फिल्म में दर्शाए गए भावों को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। अविनाश और मैंने फिल्म स्कूल में एक साथ पढ़ाई की है और ‘पाताल लोक’ में साथ काम किया है, इसलिए हम एक-दूसरे की कार्यशैली को लंबे समय से जानते हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक फिल्म का सवाल है, मैं यहां सब कुछ जाहिर नहीं कर सकता क्योंकि इसे केवल स्क्रीन पर ही अनुभव किया जाना चाहिए।"
जलसा, ह्यूमन, डार्लिंग्स, या दिल्ली क्राइम 2 जैसी फिल्मों में अपने लगातार अविश्वसनीय प्रदर्शन के साथ पूरे साल फिल्म-प्रेमियों को आकर्षित करती रही शेफाली शाह ने कहा कि यह फिल्म जितना शादी के बारे में है, उतना ही यह जीवन के बारे में भी है। उन्होंने कहा कि “इसकी स्क्रिप्ट मूल रूप से मुझे एक लाइनर के रूप में बताई गई थी। मजबूत किरदार निभाने के बाद थोड़े बदलाव के लिए, इस फिल्म में मैं एक कमजोर और नाजुक महिला की भूमिका निभा रही हूं। यही इस किरदार की खूबसूरती है। लेकिन मैं मजबूत हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं शिकार नहीं हो सकता। दोनों सुदंर है। दोनों में से किसी को क्यों चुनना चाहिए? ताकत और नाजुकपन हम में से प्रत्येक के भीतर है।”
शेफाली शाह ने फिल्म की फोटोग्राफी के बारे में बात करते हुए कहा कि यह अद्भुत है। इस फिल्म के निर्देशक फोटोग्राफी के भी निर्देशक हैं। उन्होंने फिल्म को पेंटिंग की तरह फिल्माया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि "यह फिल्म कोंकण पर्यटन के लिए एक सुंदर विज्ञापन का काम करेगी।"
अभिनेता-गीतकार स्वानंद किरकिरे ने कहा कि फिल्म एक कमजोर शेफाली, एक उत्साही जयदीप और एक स्वानंद किरकिरे को दिखाती है जो अच्छा नहीं गा सकते हैं। उन्होंने कहा, "यह फिल्म किसी के लिए भी एक ड्रीम कास्ट की तरह है।"
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