मात्रभाषा का महत्त्व



अंकित सिंह "खड्गधारी "
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर यह प्रश्न उठाना आवश्यक है कि क्या मातृभाषाओं की आवश्यकता है, जब अंग्रेजी भाषा की धमकी बिखेर रही है। इस विचार को समझने के लिए हमें मातृभाषा के महत्व को समझना होगा।मातृभाषा को समझने के लिए, हमें उसे दिल की भाषा मानना चाहिए। हर व्यक्ति की प्राथमिक भाषा, उसकी मातृभाषा होती है। मातृभाषा सीखना बेहद सरल होता है, क्योंकि वह स्नेह और प्यार की भाषा होती है। मातृभाषा का रिश्ता व्यक्ति के दिल से अधिक होता है। यह रिश्ता दिल और दिमाग, दोनों के लिए आवश्यक है। जबकि सायासिक रूप से सीखी अन्य भाषाएं अधिकांशतः दिमाग की भाषा होती हैं। इसलिए उनके साथ मनुष्य का स्नेह और प्यार का संबंध उस तरह नहीं जुड़ पाता, जैसे मातृभाषा से जुड़ता है।नेल्सन मंडेला के शब्दों में मातृभाषा और दूसरी भाषा के अंतर को हम ठीक से समझ सकते हैं। मंडेला कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति से आप उस भाषा में बात करते हैं, जो उसकी दूसरी भाषा है, जिसे वह समझ सकता है तो वह भाषा उसके मस्तिष्क में जाती है। लेकिन अगर आप उसकी मातृभाषा में बात करते हैं तो वह सीधे उसके दिल तक पहुंच जाती है। यह दिल का रिश्ता ही है कि जब एक भाषा क्षेत्र के वासी जब मिलते हैं तो वे अपनी मातृभाषा में बात करने में ज्यादा सहज महसूस करते हैं। मातृभाषा चूंकि उनके दिल की भाषा होती है, इसलिए एक तरह से उसके जरिए वे एक-दूसरे के करीब आ जाते हैं।लोकतंत्र में नागरिकों की सहज भागीदारी, समावेशी शिक्षा, सामाजिक और प्राकृतिक विविधता के साथ ही बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सबसे ज्यादा जरूरी मातृभाषाएं ही हैं। इसलिए भी मातृभाषाओं का जिंदा रहना जरूरी है। भारत सरकार ने इस तथ्य को समझा है और नई शिक्षा नीति में मातृभाषा के महत्व को प्राथमिकता दी है। इस उपाय के तहत, देश की भाषाओं के आंकड़े और उच्चारण का संग्रह भी हो रहा है। देश में 1652 भाषाएं हैं, जो अपने-अपने समाजों की मातृभाषा हैं। गृह मंत्रालय ने इनके सर्वेक्षण के लिए विशेष उपाय किए हैं और एक वेब संग्रह तैयार किया जा रहा है। इस संग्रह में भारत की सभी मातृभाषाओं का संग्रह होगा, जिससे उनकी संरक्षा और समृद्धि हो सके।
इस प्रकार, मातृभाषा का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल व्यक्ति के विकास में मदद करता है, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में भी अहम भूमिका निभाता है। इसलिए, हमें मातृभाषाओं की संरक्षण और सम्मान के प्रति सचेत रहना चाहिए।

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