प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड - विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने मैसर्स पेप्ट्रिस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड और फाउंडेशन फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज रिसर्च (एफएनडीआर) को इनोवेटिव एंटीबायोटिक डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए 75 लाख रूपये का अनुदान स्वीकृत किया

 

स्वास्थ्य देखभाल नवाचार को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक अभिनव पहल में, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड- टीडीबी) नेमेसर्स पेप्ट्रिस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड और फाउंडेशन फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज रिसर्च (एफएनडीआर), बेंगलुरु के साथ इसी 18 मार्च को एक समझौता किया है। इस समझौते के अंतर्गत बोर्ड ने "एएनएजीआरएएनआईएनएफ - ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरियल-संक्रमण के लिये एंटीबायोटिक दवाओं की एक नवीन श्रेणी का विकास" परियोजना के लिए 75 लाख रूपये के अनुदान की स्वीकृति दी है, जबकि कुल परियोजना लागत 1.5 करोड़ रूपये है।

                                                                             

माना जाता है कि इस सहयोगात्मक प्रयास से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना भारत और स्पेन की कंपनियों के बीच एक संयुक्त प्रयास है, जिसमें एबीएसी थेरेप्यूटिक्स एसएल स्पेनिश प्रोजेक्ट लीड के रूप में कार्यरत है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और प्रौद्योगिकी और नवाचार विकास केंद्र, ई.पी.ई. (सेंटर फॉर द डेवलपमेंट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन - सीडीटीआई) के नेतृत्व में इस द्विपक्षीय कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों देशों के बीच साझेदारी और व्यापार-आधारित सहयोगी परियोजनाओं को बढ़ावा देते हुए बाजार-संचालित अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना है, जिससे कि स्वास्थ्य सेवा में नवाचार को आगे बढ़ाया जा सके।

इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य विशेष रूप से एक एंटीबायोटिक युक्त एक नवीन सीसा यौगिक (लैड कंपाउंड) विकसित करना है, जो फैबआई (एफएबीआई)  एंजाइम [एस्चेरिचिया कोली का एनॉयल-[एसिल-वाहक-प्रोटीन] रिडक्टेस (फैबीआई), जो फैटी एसिड जैवसंश्लेषण में एक प्रमुख नियामक कदम को उत्प्रेरित करते हुए  एनएडीएच और एनएडीपीएच को सहकारकों के रूप में स्वीकार करता है और पामिटॉयल-सीओए द्वारा बाधित होता है] को रोकने और महत्वपूर्ण ग्राम-नकारात्मक (नेगेटिव) रोगजनकों (पैथोजेन्स) से निपटने में सक्षम हो। स्वामित्वाधीन (प्रोपेराईटरी) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) उपकरणों की क्षमता का उपयोग करते हुए और प्रवेशात्मक (ईएनटीआरआई) नियमों जैसे कड़े दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, परियोजना का लक्ष्य यौगिकों की एक ऐसी श्रृंखला का उत्पादन करना है जो न केवल बढ़ी हुई प्रभावकारिता प्रदर्शित करती है बल्कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) संक्रमण से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित कठोर मानदंडों के अनुरूप भी है।

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