नई दिल्ली (पीआईबी)अरब
सागर में गश्त पर तैनात आईएनएस कोलकाता ने 40 घंटे से अधिक समय तक चले
तलाशी अभियान के बाद 16 मार्च 24 को सोमालियाई समुद्री डाकुओं से मालवाहक
जहाज एमवी रुएन को बचाया। मालवाहक जहाज का पिछले साल दिसंबर में अपहरण कर
लिया गया था। अब तक यह सोमालियाई समुद्री डाकुओं के नियंत्रण में था।समुद्री
सुरक्षा अभियानों के तहत भारतीय नौसेना इस क्षेत्र में व्यापक निगरानी कर
रही है, जिसमें यातायात की निगरानी भी शामिल है। निगरानी के दौरान जुटाई गई
सूचना के आधार पर भारतीय नौसेना रुएन जहाज की गतिविधि को ट्रैक करने में
सक्षम थी। इस आधार पर आईएनएस कोलकाता को सोमालिया से लगभग 260 नॉटिकल माइल
(एनएम) पूर्व में जहाज को रोकने का निर्देश दिया गया। आईएनएस कोलकाता ने 15 मार्च 24 की सुबह रुएन को रोका और जहाज से लॉन्च किए गए ड्रोन के माध्यम से सशस्त्र समुद्री डाकुओं की उपस्थिति की पुष्टि की। समुद्री डाकुओं ने भड़काऊ कार्रवाई करते हुए ड्रोन को मार गिराया और भारतीय नौसेना के युद्धपोत पर गोलीबारी शुरू कर दी। अंतर्राष्ट्रीय
कानूनों का पालन करते हुए संतुलित प्रतिक्रिया अपनाकर आईएनएस कोलकाता ने
रुएन जहाज के स्टीयरिंग सिस्टम और नेविगेशनल सहायता को निष्क्रिय कर दिया।
इसके परिणामस्वरूप समुद्री डाकुओं को जहाज रोकना पड़ा।
इस
दौरान आईएनएस कोलकाता ने सुनियोजित तरीके से जहाज के करीब निकटता बनाए
रखी। इसके अलावा बातचीत की प्रक्रिया भी सक्रिय रूप से जारी रही। इसके परिणामस्वरूप समुद्री लुटेरों ने आत्मसमर्पण कर दिया और समुद्री जहाज एमवी रुएन और जहाज पर मौजूद उसके चालक दल को रिहा कर दिया। भारत की मुख्य भूमि से 1400 नॉटिकल माइल (एनएम)(2600 किमी) दूर चल रहे समुद्री डकैती रोधी अभियान में भारतीय नौसेना के प्रयासों से 16 मार्च 24 की सुबह उस क्षेत्र में गश्ती पोत आईएनएस सुभद्रा की तैनाती की गई। इसके साथ ही उसी दिन दोपहर में सी-17 विमान द्वारा मरीन कमांडो (प्रहार) को एयर-ड्रॉप किया गया। इसके अतिरिक्त हेल आरपीए और पी8आई समुद्री टोही विमान की मदद से जहाज की निगरानी की जा रही थी।
पिछले
40 घंटों में भारतीय नौसेना के निरंतर दबाव और कार्रवाई के कारण सभी 35
सोमाली समुद्री डाकुओं ने 16 मार्च 24 की दोपहर को आत्मसमर्पण कर दिया।
एमवी रुएन के सभी 17 चालक दल के सदस्यों को भी बिना किसी चोट सुरक्षित
निकाल लिया गया। जहाज को अवैध हथियारों, गोला-बारूद और प्रतिबंधित पदार्थों
से भी मुक्त कर दिया गया।
17 मार्च 2024 की सुबह एमवी रुएन की जांच की जाएगी। इस पर लगभग 37800 टन माल लदा है, जिसकी कीमत लगभग एक मिलियन डॉलर है। इस जहाज को सुरक्षित रूप से भारत लाया जाएगा।
दक्षिणी
भारतीय महासागर क्षेत्र (आईओआर) में रुएन से जुड़े चल रहे एंटी-पाइरेसी
ऑपरेशन का निष्कर्ष शांति एवं स्थिरता को मजबूत करने और क्षेत्र में
समुद्री डकैती के किसी भी प्रयास को विफल करने की दिशा में भारतीय नौसेना
की प्रतिबद्धता को उजागर करती है। भारतीय नौसेना भारतीय महासागर क्षेत्र
में 'फर्स्ट रिस्पॉन्डर' ('प्रथम प्रतिक्रिया देने वाले देश') के रूप में
अपनी भूमिका निभाने को लेकर दृढ़ है।
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