कोयला मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की नई सीएसआर पहल की शुरुआत की

नईदिल्ली (पीआईबी)केंद्रीय कोयला, खान एवं संसदीय कार्य मंत्री, श्री प्रल्हाद जोशी ने आज यहां कोयला मंत्रालय में आयोजित एक कार्यक्रम में सीआईएल की नई कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पहलों की शुरुआत की। इस अवसर पर कोयला सचिव (वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से) श्री अमृत लाल मीणा, कोयला मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती रूपिंदर बराड़, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, सीआईएल, एनएलसीआईएल, एससीसीएल और सीएसआर के अधिकारी उपस्थित हुए।

पहली पहल के अंतर्गत, सीआईएल 70 सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम की शुरुआत करके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को एक कदम आगे बढ़ा रहा है। यह 31.01.2024 को झारखंड के 11 जिलों में शुरू की गई इसी प्रकार की पहल को निरंतरता प्रदान करता है। वर्तमान परियोजना 2.42 करोड़ रुपये लागत की है जिसे एडसिल (इंडिया) लिमिटेड द्वारा पूरी की जाएगी, जो भारत सरकार का एक मिनीरत्न पीएसयू है। इस पहल से छात्रों में सीखने में सुधार होने के साथ-साथ सरकारी स्कूलों एवं निजी स्कूलों के छात्रों के बीच मौजूद डिजिटल विभाजन में कमी आने का अनुमान है।

इस अवसर पर सीआईएल की एक नई सीएसआर योजना – कोल इंडिया लोक सेवा प्रोत्साहन योजना की भी शुरुआत की गई। इस योजना का उद्देश्य कोल इंडिया लिमिटेड के कोयला खनन जिलों के अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति और महिला/ तृतीय लिंग के उम्मीदवारों के प्रति व्यक्ति को एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जो वर्ष 2024 से 2026 के दौरान संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित सिविल सेवा/ वन सेवा परीक्षाओं के प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं। इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों की वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। यूपीएससी द्वारा सिविल सेवा/ वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2024 के परिणाम घोषित होने के बाद आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी। पूरी आवेदन प्रक्रिया को कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआई) द्वारा विकसित एक समर्पित पोर्टल के माध्यम से पूरा किया जाएगा, जिस पोर्टल का शुभारंभ भी इस अवसर पर किया गया।

झारखंड कोयला खनन करने वाला एक प्रमुख राज्य है और वहां पर कोल इंडिया लिमिटेड की कई कोयला खदानें हैं, माननीय कोयला मंत्री ने ‘नन्हा सा दिल’ परियोजना की शुरुआत की जो जरूरतमंद परिवारों को जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) की सर्जरी को सस्ता बनाने के लिए एक व्यापक पहल है। वर्तमान में, सीएचडी के साथ जन्म लिए 2.40 लाख बच्चों में से केवल 5 प्रतिशत ही उच्च लागत के कारण इसकी सर्जरी करवाने में सक्षम हैं। जन्मजात दोषों के कारण होने वाली सभी मौतों में सीएचडी का हिस्सा एक-तिहाई है। चूंकि इस रोग की शुरुआती पहचान होने से इसका बेहतर उपचार हो सकता है, इसलिए इस परियोजना में 176 गांवों/ब्लॉकों और 16 जिला स्तरीय शिविरों के माध्यम से झारखंड के 4 जिलों में लगभग 18,000 बच्चों की जांच की जाएगी। परियोजना के अंतर्गत पुष्टि की गई बीमारी वाले बच्चों की सर्जरी को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। 9.37 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना धनबाद, रांची, हजारीबाग और गिरिडीह जिलों में पायलट आधार पर शुरू की जाएगी, जिसे प्रभाव के आधार पर विकसित किए जाने का अनुमान है। प्रक्रिया के दौरान बाल कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारियों की प्रशिक्षण परियोजना से अतिरिक्त लाभ प्राप्त होगा। यह परियोजना श्री सत्य साईं हेल्थ एंड एजुकेशन ट्रस्ट (एसएसएसएचईटी) के माध्यम से शुरू की जा रही है, जो अपने 'बिलिंग काउंटरों के बिना अस्पताल' मॉडल के अंतर्गत मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। एसएसएसएचईटी को अब तक 28,000 से ज्यादा बाल चिकित्सा कार्डियक सर्जरी का अनुभव प्राप्त है।

‘नन्हा सा दिल’ परियोजना सीआईएल की अनूठी प्रमुख परियोजना ‘थैलेसीमिया बाल सेवा योजना’ की विरासत को आगे बढ़ा रही है, जिसने आयोजन के दौरान 500 अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण कर एक प्रमुख मील का पत्थर प्राप्त किया। कोल इंडिया लिमिटेड, 2017 में बीएमटी संचालन का समर्थन करके थैलेसीमिया का उपचारात्मक उपचार करने के लिए सीएसआर परियोजना की शुरुआत करने वाला देश का पहला सार्वजनिक उपक्रम बना। अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के पात्र रोगियों को 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस सहायता का पात्र होने के लिए, रोगियों को चिकित्सा एवं आयु संबंधी मानदंडों को पूरा करने के साथ-साथ 8 लाख रुपये से कम की वार्षिक पारिवारिक आय होनी चाहिए। 70 करोड़ रुपये की यह परियोजना वर्तमान में अपने तीसरे चरण में है। हाल ही में, परियोजना के अंतर्गत 500वीं बीएमटी पूरी की गई। वर्तमान में पूरे देश में फैले 11 प्रमुख अस्पताल इस कार्यक्रम में अपनी भागीदारी कर रहे हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इसके लिए समग्र मार्गदर्शक संरचना प्रदान की गई है। थैलेसीमिक्स इंडिया, जो पिछले 25 वर्षों से थैलेसीमिया के क्षेत्र में काम करने वाला एक गैर सरकारी संगठन है, इसका समन्वय भागीदार है। इस योजना ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध 'ग्रीन वर्ल्ड एनवायरनमेंट अवार्ड' प्राप्त किया है, जिसे जनवरी 2024 में "ईंधन, विद्युत और ऊर्जा" क्षेत्र में सीएसआर श्रेणी वाला घोषित किया गया।

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