18वें मुंबई फिल्म फेस्टिवल में डाक्यूमेंट्री फिल्म मेकिंग में फंडिंग और राजस्व कमाने की रणनीतियों को लेकर विस्तृत पैनल चर्चा की गई

डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिक्शन और एनिमेशन फिल्मों के लिए 18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव ने आज "बियांड द लेंस: फंडिंग एंड मोनेटाइजेशन इन डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकिंग" विषय पर एक आकर्षक पैनल चर्चा की। इस आकर्षक सत्र में डॉक्यूमेंट्री निर्माणों से फंडिंग और लाभ कमाने के लिए अभिनव तरीकों पर चर्चा की गई, जो अपनी कहानियों को जीवंत करने के इच्छुक फिल्म निर्माताओं के लिए बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। सत्र की शुरुआत जम्मू और कश्मीर में सूचना और जनसंपर्क विभाग के निदेशक, आईएएस, जतिन किशोर ने की, जिन्होंने जम्मू और कश्मीर को एक प्रमुख फिल्म निर्माण गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने के उद्देश्य से क्षेत्र की नई फिल्म नीति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "हम डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिक्शन और एनिमेशन फिल्मों के लिए विशेष प्रावधानों के साथ 1.5 करोड़ की अधिकतम सब्सिडी दे रहे हैं।" इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि उनकी सिंगल विंडो सिस्टम फिल्म निर्माताओं के लिए जम्मू और कश्मीर में शूटिंग के लिए आवश्यक अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगी। जतिन किशोर ने नवोदित फिल्म निर्माताओं का समर्थन करने के लिए एक फंड स्थापित करने की जम्मू और कश्मीर प्रशासन की योजना की भी घोषणा की।

(फोटो में: 18वें एमआईएफएफ में "बियांड द लेंस: फंडिंग एंड मोनेटाइजेशन इन डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकिंग"विषय पर जारी पैनल चर्चा) 

एमयूबीआई में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की प्रोग्रामिंग निदेशक स्वेतलाना नौडियाल ने डाक्यूमेंट्री के उभरते परिदृश्य पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डाक्यूमेंट्रीज ने एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अभी भी बहुत प्रगति की जानी है। नौडियाल ने बताया कि एमयूबीआई  में, वे फीचर और गैर-फीचर फिल्मों के बीच अंतर किए बिना हाई क्वालिटी वाले कंटेंट को प्राथमिकता देते हैं।

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