केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री, श्री जे.पी. नड्डा ने यहां बिहार और झारखंड मेडिकल फोरम (बीजेएमएफ) द्वारा आयोजित "मेडिसिन अपडेट बीजेएमएफकॉन 2024" का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री नड्डा ने 'स्मारिका और बीजेएमएफ निर्देशिका' का भी विमोचन किया।बिहार और झारखंड मेडिकल फोरम (बीजेएमएफ) बिहार और झारखंड राज्यों के डॉक्टरों की एक सामाजिक-वैज्ञानिक संस्था है जो लंबे समय से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रैक्टिस कर रही हैं और इस क्षेत्र के लोगों की सेवा कर रही है। पहला मेडिसिन अपडेट 2023 में आयोजित किया गया था। दूसरा मेडिसिन अपडेट बीजेएमएफकॉन आज आयोजित किया गया।
बीजेएमएफकॉन 2024 को संबोधित करते हुए श्री नड्डा ने कहा, "मुझे यह जानकर खुशी हुई कि बीजेएमएफ अपने सामाजिक, शैक्षणिक और वैज्ञानिक कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है। आप सभी न केवल अपने लिए डॉक्टर बने हैं, बल्कि समाज को भी प्रतिदान दिया है। बीजेएमएफ द्वारा आयोजित ऐसे सम्मेलनों, निरंतर चिकित्सा शिक्षा, सेमिनार, समूह चर्चा और पैनल चर्चा के माध्यम से खुद को जागरुक करते हुए समाज तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए आपके द्वारा संयुक्त प्रयास किए गए हैं।"
देश के स्वास्थ्य परिदृश्य को बदलने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, श्री नड्डा ने कहा कि "प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, सरकार सभी को उच्च गुणवत्ता और किफायती स्वास्थ्य सेवा सुविधाएँ सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है" और "एक व्यापक स्वास्थ्य नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है जो सभी को समग्र, समावेशी, निवारक, प्रोत्साहक, उपचारात्मक, उपशामक और पुनर्वासात्मक देखभाल प्रदान करती है।"
देश में स्वास्थ्य सेवा के निवारक पहलुओं और रोगों का शीघ्र पता लगाने के सरकार के प्रयासों को रेखांकित करते हुए, उन्होंने कहा कि, "भारत में 1.73 लाख उच्च गुणवत्ता वाले आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं जो एक डिजिटल उच्च-गुणवत्ता वाले मूल्यांकन से गुजरते हैं। भारत में कुल आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में से 10,716 बिहार में हैं जहाँ 8.35 करोड़ लोगों का आगमन हुआ है और 4.36 करोड़ गैर-संचारी रोगों की (एनसीडी) स्क्रीनिंग हुई है, जबकि झारखंड में 3,825 आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं जहाँ 2.33 करोड़ लोगों का आगमन हुआ है और 2.12 करोड़ एनसीडी स्क्रीनिंग हुई है।"
मातृ-शिशु स्वास्थ्य में हुई प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि "मोदी सरकार के पहले 5 वर्षों में संस्थागत प्रसव 78.9% से बढ़कर 88.6% हो गया।" श्री नड्डा ने कहा कि "देश में शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में गिरावट आई है। भारत में 2020 में आईएमआर 1000 जीवित जन्मों में 28 था। बिहार में, यह 2020 में 42 से घटकर 27 हो गया, और झारखंड में, 2020 में 34 से घटकर 25 हो गया। 2020 में भारत में 5 साल से कम उम्र में मृत्यु दर 1000 जीवित जन्मों में 32 थी। बिहार में, यह 2020 में 53 से घटकर 30 हो गया और 2020 में झारखंड में 44 से घटकर 27 हो गया।"
उन्होंने आगे कहा कि " प्रधान मंत्री के नेतृत्व में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 2014 के पहले के 387 से बढ़कर 766 होकर 98% की वृद्धि सुनिश्चित की गई है। देश में 157 जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज में परिवर्तित किया गया, जिनमें से 8 बिहार में पूर्णिया, सारण, समस्तीपुर, झाझरपुर, सीवान, बक्सर और जमुई में थे। इनमें से 5 झारखंड में डुमका, हजारीबाग, पलामू, चाईबासा और कोडरमा में थे।" उन्होंने जोर देकर कहा कि "पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) को एशिया के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में पुनर्विकसित किया जा रहा है।"
उन्होंने कहा कि "एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी) सीटों की संख्या में 125% की वृद्धि हुई है यानी 2014 से पहले के 51,348 से बढ़कर 1,15, 412 हो गई है। जबकि 2014 से पहले के 31,185 से बढ़कर 73,111, स्नातकोत्तर (पीजी) सीटों में 134% की वृद्धि हुई है।"
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि "प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत सस्ती/विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को सुधारने और देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाओं को बढ़ाने के लिए बिहार में पटना और दरभंगा और झारखंड में देवघर में नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) खोले जाएँगे।" उन्होंने यह भी कहा कि "आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) , दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत, 86,797 करोड़ रुपये के उपचार को अधिकृत किया गया है। वरिष्ठ देखभाल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अंग के तौर पर सरकार ने 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयुष्मान भारत पीएम-जेएवाई का विस्तार किया है, जो उन्हें 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य सेवा लाभों तक पहुँचने में सहायता करता है।"
उन्होंने "देश के सबसे दूरदराज क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे अथक प्रयासों" के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की सराहना की और COVID-19 महामारी के दौरान उनके प्रयासों और सेवाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और इस दिशा में सरकार की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने में डॉक्टरों के योगदान के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अपने भाषण का समापन किया और कार्यक्रम के प्रतिभागियों से देश में स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं में सुधार के लिए ठोस सिफारिशें करने का आग्रह किया।
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