अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान -एआईआईए के पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन - समग्र आयुर्वेद के लिए अनुसंधान और वैश्विक अवसरों की प्रगति - AROHA-2024 का उद्घाटन भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश डॉ. न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने किया। इस अवसर पर आयुष और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव उपस्थित थे।
इस अवसर पर आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, गुजरात के जामनगर स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन- डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की निदेशक डॉ. श्यामा कुरुविला मौजूद थीं। महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयूएचएस) की कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानिटकर, पद्म भूषण से सम्मानित आईएलबीएस के निदेशक प्रोफेसर शिव कुमार सरीन और एआईआईए निदेशक प्रोफेसर डॉ. तनुजा नेसारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुईं।
तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन - समग्र आयुर्वेद के लिए अनुसंधान और वैश्विक अवसरों की प्रगति - AROHA-2024, 17 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक आयोजित किया गया।
भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश डॉ. न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने अपने उद्घाटन भाषण के दौरान कहा, “अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के 8वें स्थापना दिवस पर आयोजित AROHA 2024 का हिस्सा बनने पर मैं खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूँ। मैं वास्तव में यह देखकर प्रसन्न हूं कि कैसे एआईआईए ने केवल आठ वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसकी स्थापना अनुसंधान आधारित आयुर्वेद को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ की गई है। यह संस्थान तीन प्रमुख स्तंभों- देखभाल, अनुसंधान और शिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। मैं आयुर्वेद का प्रबल अनुयायी हूं। विशेष बीमारियों के समाधान के अलावा, आयुर्वेद चिकित्सा, पोषण, ध्यान, योग और जीवनशैली संतुलन के माध्यम से समग्र कल्याण को बढ़ावा देता है। पीढ़ीगत पारिवारिक ज्ञान में निहित, आयुर्वेद समग्र कल्याण के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। आयुष अनुसंधान पोर्टल का शुभारंभ आयुर्वेदिक अनुसंधान और शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।"
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, आयुष और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि "हम आयुर्वेद की विशाल क्षमताओं का पता लगाने के लिए एकत्र हुए हैं। वर्तमान समय की मांग के अनुसार पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ने के लिए मैं आपके समर्पण की सराहना करता हूं। यह सम्मेलन समग्र स्वास्थ्य देखभाल समाधानों की दिशा में हमारे महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आज आयुर्वेद की वैश्विक मान्यता को मजबूत कर रहा है। उनके उत्साहवर्धन का ही परिणाम है कि आयुर्वेद को किसी भी अन्य चिकित्सा पद्धति से अधिक अपनाया गया है। प्रधानमंत्री के प्रयासों के बाद आयुर्वेद की विश्वसनीयता भी बढ़ी है और लाखों लोगों की सेवा के लिए मुझे आयुर्वेद मंत्रालय की जिम्मेदारी देने के लिए मैं उनका बहुत आभारी हूँ। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप आयुष मंत्रालय से संबंधित सभी आकांक्षाएं पूरी करने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूँ। आयुष मंत्रालय अनुसंधान, नवाचार और मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल के साथ आयुर्वेद के एकीकरण को बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
इस अवसर पर आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, “आयुष मंत्रालय अगले पांच वर्षों में आयुर्वेद की 5 प्रमुख औषधि विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम इन औषधियों के लिए विश्व स्तर पर स्वीकृत पारंपरिक चिकित्सा के समकक्ष एक मानदंड विकसित कर रहे हैं। हमने पहले ही इस पर काम करना शुरू कर दिया है और यह कुछ बहुत नया है और हम इस प्रयास की ओर प्रतिबद्ध हैं।"
इस मौके पर गुजरात के जामनगर स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन- डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की निदेशक डॉ. श्यामा कुरुविला ने कहा “हम भारत सरकार, आयुष मंत्रालय के अत्यधिक उदार रवैया, नेतृत्व और पारंपरिक चिकित्सा को एक वैश्विक उत्पाद बनाने के दृष्टिकोण के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं जिससे दुनिया के सभी लोगों को लाभ हो सके। पहले से ही इस नेतृत्व का वैश्विक प्रभाव पड़ रहा है। हमने जी20 सम्मेलन, ब्रिक्स और अन्य क्षेत्रीय सम्मेलनों में नेतृत्व का प्रभाव देखा है। पारंपरिक चिकित्सा और सभी लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए इसके योगदान पर ध्यान दें। अनुसंधान सहयोग, तौर-तरीकों और दिशानिर्देशों की प्रगति के साथ इसका तकनीकी प्रभाव भी पड़ रहा है।''
AROHA-2024 में आफलाइन और वर्चुअल दोनों तरह की भागीदारी होगी, जो प्रतिभागियों के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करेगी। इस वैश्विक आयोजन में "अनुसंधान में प्रगति और समग्र आयुर्वेद के लिए वैश्विक अवसर'' विषय पर चर्चा केंद्रित होगी। सम्मेलन के एजेंडे में आयुर्वेद, एथनोमेडिसिन, गुणवत्ता नियंत्रण, मानकीकरण, निदान, दवा वितरण, साक्ष्य आधारित समझ और वैश्वीकरण सहित विभिन्न विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। इसमें एक प्रदर्शनी भी लगाई गई है जहां प्रमुख ब्रांड और संस्थानों के स्टाल पर हर्बल उत्पादों, कल्याणकारी समाधानों, आयुर्वेदिक उपचारों, अनुसंधान नवाचारों और शैक्षिक अवसरों की जानकारी प्रदान की जा रही है। सम्मेलन में तीन दिवसीय कार्यशालाएं और 15 वैज्ञानिक सत्र होंगे, जिसमें 400 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान 74 से अधिक देशों के विभिन्न संस्थानों और संगठनों में अकादमिक और वैज्ञानिक सहयोग के माध्यम से वैश्विक उपस्थिति दर्ज करा रहा है, जिनमें- लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, एफआईजीजेड जर्मनी, एआईएसटी जापान, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया, यूएचएन कनाडा शामिल हैं। साथ ही राष्ट्रीय संस्थानों जैसे आईजीआईबी, एम्स, सीएसआईआर, आईआईटी और अन्य प्रमुख संगठनों के साथ सहयोग कर रहा है।
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