एनटीपीसी ने लद्दाख के चुशुल में सोलर हाइड्रोजन-आधारित माइक्रोग्रिड स्थापित करने के लिए भारतीय सेना के साथ साझेदारी की है। यह महत्वपूर्ण कदम ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग करके एक स्थायी बिजली आपूर्ति प्रदान करेगा। माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भारत के रक्षा सेवाओं के प्रमुख, सीएमडी, एनटीपीसी और रक्षा मंत्रालय, भारतीय सेना और एनटीपीसी के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस अनूठी परियोजना की आधारशिला रखी।
एनटीपीसी ने इस अभिनव सौर हाइड्रोजन-आधारित माइक्रोग्रिड सिस्टम को स्वतंत्र रूप से संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया है। इसमें हाइड्रोजन का उपयोग ऊर्जा भंडारण माध्यम के रूप में किया जाता है, जिससे पूरे वर्ष चौबीसों घंटे 200 किलोवाट बिजली की आपूर्ति की जाएगी। यह इन स्थानों पर मौजूदा डीजल जेनसेट की जगह लेगा, जो अत्यधिक सर्दियों की परिस्थितियों के बावजूद एक स्थायी बिजली आपूर्ति प्रदान करेगा, जहां 4,400 मीटर की ऊँचाई पर तापमान -30 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। एनटीपीसी इस परियोजना को 25 वर्षों तक बनाए रखेगा, जिसका उद्देश्य इन महत्वपूर्ण इलाकों और चुनौतीपूर्ण जलवायु में तैनात भारतीय सैनिकों को सहायता प्रदान करना है।
सोलर-हाइड्रोजन माइक्रोग्रिड को मौजूदा डीज़ल जनरेटर की जगह लेगा, जो वर्तमान में इन स्थानों पर उपयोग किए जा रहे हैं। ये सिस्टम कई लाभ प्रदान करते हैं, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का एकीकरण, प्रतिकूल परिस्थितियों में स्थिर बिजली आपूर्ति, कम कार्बन उत्सर्जन और स्वच्छ और सतत ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना शामिल है। वे अत्यधिक स्केलेबल हैं और विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त हैं। ये सिस्टम बैटरी स्टोरेज की विश्वसनीयता को हाइड्रोजन की विस्तारित ऊर्जा भंडारण क्षमता के साथ जोड़ते हैं, जिससे एक सुसंगत बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होती है।
लद्दाख के उच्च सौर विकिरण और कम तापमान को देखते हुए यह परियोजना हरित ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग को सुगम बनाएगी। यह ईंधन लाजिस्टिक पर निर्भरता को दूर करेगी और सड़क संपर्क व्यवधानों से प्रभावित दूरदराज के क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगी। एक बार चालू होने के बाद, यह हिमालय से दूर रक्षा क्षेत्र में कार्बनरहित (डीकार्बोनाइजेशन) के एक नए युग की शुरुआत करेगी।
एनटीपीसी ने हाल ही में लेह में हाइड्रोजन बस का ट्रायल शुरू किया है, ताकि लद्दाख में अक्षय ऊर्जा लक्ष्य और कार्बन तटस्थता हासिल की जा सके। कंपनी लेह में इंट्रासिटी रूट पर संचालन के लिए पांच फ्यूल सेल बसों के साथ-साथ एक हाइड्रोजन ईंधन स्टेशन और सौर संयंत्र भी स्थापित कर रही है।
वर्ष 2032 तक 60 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने और हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में एनटीपीसी एक प्रमुख संस्था बनने के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी हाइड्रोजन मिश्रण, कार्बन कैप्चर, इलेक्ट्रिक बसें और स्मार्ट एनटीपीसी टाउनशिप सहित डीकार्बोनाइजेशन की दिशा में कई पहल कर रही है।
إرسال تعليق