"भले ही आप सो रहे हो, लेकिन अपने सपनों को कभी सोने मत दो।" ये शब्द थे फिल्म जगत के दिग्गज मिथुन दा के, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के दौरान विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्राप्त करने वाले युवा विजेताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही। जब राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया, तो विज्ञान भवन का पूरा सभागार खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। सभा को संबोधित करते हुए मिथुन दा ने फिल्म उद्योग में अपने संघर्ष के अनुभव साझा किए। उन्होंने अपने सांवले रंग के कारण अपने साथ हुए भेदभाव को याद किया और सभागार में मौजूद पुरस्कार विजेताओं और दर्शकों के साथ अपने नृत्य की सफलता के मंत्र को भी साझा किया। महत्वाकांक्षी युवा प्रतिभाशाली कलाकारों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि अपने सपनों का पीछा करते हुए अपनी प्रतिभा को पहचानें।
70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि फिल्में और सोशल मीडिया समाज को बदलने का सबसे सशक्त माध्यम हैं। उन्होंने इन पुरस्कारों के माध्यम से नवोदित प्रतिभाओं को एक समान मंच प्रदान करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की भी प्रशंसा की, जहाँ वे देश के बड़े नामों और प्रोडक्शन हाउस के साथ एक ही मंच पर आ सकते हैं।
पुरस्कार समारोह में मनोज वाजपेयी, विशाल भारद्वाज, नीना गुप्ता, करण जौहर, ऋषभ शेट्टी आदि पुरस्कार विजेताओं ने भाग लिया। भारतीय सिनेमा की अन्य हस्तियाँ जैसे शर्मिला टैगोर, प्रसून जोशी आदि भी मौजूद थे। एआर रहमान और मणि रत्नम जैसी प्रतिष्ठित हस्तियाँ उन पुरस्कार विजेताओं में शामिल थीं, जिन्हें सातवीं बार प्रतिष्ठित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला , जो फिल्म उद्योग पर उनकी स्थायी प्रतिभा और प्रभाव का प्रमाण है। उनकी उपलब्धियाँ भारतीय सिनेमा के निरंतर विकसित होते परिदृश्य में महत्वाकांक्षी और स्थापित दोनों कलाकारों को प्रेरित करती रहती हैं।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, रेलवे तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री संजय जाजू के अलावानिर्णायक मंडल के रूप में श्री राहुल रवैल, श्री नीला माधव पांडा तथा श्री गंगाधर मुदलियार भी मौजूद रहे।
श्री अश्विनी वैष्णव ने सभी उपस्थित लोगों का गर्मजोशी से स्वागत किया और इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम का हिस्सा बनने पर गर्व व्यक्त किया, जो फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं, तकनीशियनों और सिनेमा की कला से जुड़े सभी हितधारकों की प्रतिभा का जश्न मनाता है। उन्होंने दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती का स्वागत किया, जिन्हें भारतीय सिनेमा और समाज में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने दिग्गज अभिनेता के अनुकरणीय करियर और सार्वजनिक सेवा को स्वीकार करते हुए कहा, "मिथुनदा, आपका जीवन ही आपका संदेश है। आप स्क्रीन पर और स्क्रीन के बाहर दोनों जगह हमारे समाज के लिए एक आइकन हैं।"
श्री वैष्णव ने नौ नवोदित निर्देशकों की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, उनकी साहसिक कहानी कहने की शैली की सराहना की और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में फिल्म उद्योग या स्टार्टअप में युवा इनोवेटर्स की भूमिका की सराहना की।
भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी)
रचनात्मक उद्योगों के विकास को और अधिक समर्थन देने के लिए, श्री वैष्णव ने एक ऐतिहासिक पहल की घोषणा करते हुए मुंबई में पहले भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) की स्थापना करने का ऐलान किया। IIT और IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की तर्ज पर , जिन्होंने दुनिया की कुछ बेहतरीन तकनीकी और प्रबंधकीय प्रतिभाएँ तैयार की हैं (उनमें से कुछ Google, Microsoft आदि जैसी बड़ी दिग्गज कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं), IICT रचनात्मक कौशल और ज्ञान विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह नया संस्थान नवाचार, रचनात्मकता और प्रतिभा विकास के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि भारत वैश्विक रचनात्मक अर्थव्यवस्था में सबसे आगे रहे।
उन्होंने तीन प्रमुख स्तंभों के साथ फिल्म उद्योग को विकसित करने के सरकार के दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया :
1. टैलेंट का विकास : फिल्म निर्माण में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका को पहचानते हुए, उन्होंने एक मजबूत टैलेंट पाइपलाइन की आवश्यकता पर जोर दिया। आईटी और सेमीकंडक्टर क्षेत्रों में भारत की सफलता के साथ समानताएं बताते हुए, उन्होंने रचनात्मक प्रौद्योगिकियों में प्रतिभा को पोषित करने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें आईआईसीटीमहत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
2. बुनियादी ढांचे का विकास : श्री वैष्णव ने फिल्म उद्योग की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने उद्योग जगत के दिग्गजों को एक ऐसा आधार बनाने की दिशा में राय देने के लिए आमंत्रित किया जो भारतीय सिनेमा को वैश्विक मानकों पर ले जाए।
3. प्रक्रियाओं का सरलीकरण : श्री वैष्णव ने फिल्म निर्माताओं के लिए अनुमतियों को सरल बनाने पर चर्चा की, जिससे उनके लिए अपनी प्रोजक्ट पूरा करने में रेलवे, वन और पुरातात्विक स्थलों जैसे विविध स्थानों का उपयोग करना आसान हो सके। इन प्रक्रियाओं को सरल बनाने से रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा और नौकरशाही की बाधाएं कम होंगी।
श्री वैष्णव ने क्लासिक फिल्मों से लेकर पोस्टर और अखबारों की क्लिपिंग तक भारत की समृद्ध फिल्म विरासत को संरक्षित करने के महत्व पर भी जोर दिया । उन्होंने बताया कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन अमूल्य खजानों को सुरक्षित रखने के लिए निर्णय लिए गए हैं।
इस अवसर पर, सचिव श्री संजय जाजू ने यह भी बताया कि 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की फीचर फिल्म श्रेणी में 32 विभिन्न भाषाओं की 309 फिल्में और गैर-फीचर फिल्म श्रेणी में 17 भाषाओं की 128 फिल्में प्राप्त हुईं , जो हमारे सांस्कृतिक परिदृश्य की समृद्धि और हमारी कहानी कहने की समावेशिता को दर्शाता है। वैश्विक महामारी की पृष्ठभूमि में फिल्म उद्योग के लचीलेपन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहानी कहने की अपनी कला के माध्यम से दर्शकों को लुभाने के लिए फिल्म निर्माताओं की प्रशंसा की।
70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह की मुख्य बातें
इस साल के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में विभिन्न प्रकार की फिल्मों और प्रतिभाओं में उत्कृष्टता को मान्यता देने की परंपरा जारी है। 2022 के पुरस्कारों में कई बेहतरीन विजेता शामिल हैं:
सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म : आनंद एकर्षी द्वारा निर्देशित मलयालम फिल्म “आट्टम (नाटक)” ने अपनी कलात्मक प्रतिभा के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता है।
सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म : सिद्धांत सरीन द्वारा निर्देशित “आएना (मिरर)” ने यह सम्मान हासिल किया।
सर्वश्रेष्ठ मुख्य अभिनेता : ऋषभ शेट्टी ने "कांतारा" (कन्नड़) में अपने शानदार अभिनय के लिए पुरस्कार जीता।
सर्वश्रेष्ठ मुख्य भूमिका में अभिनेत्री: सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार नित्या मेनन को "तिरुचित्रम्बलम" (तमिल) और मानसी पारेख को "कच्छ एक्सप्रेस" (गुजराती) में उनकी भूमिका के लिए संयुक्त रूप से दिया गया।
सर्वश्रेष्ठ निर्देशन : सूरज आर. बड़जात्या को हिंदी फिल्म “ऊंचाई” में उनके काम के लिए यह पुरस्कार मिला।
अन्य पुरस्कार विजेताओं में एवीजीसी (एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक) श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए "ब्रह्मास्त्र - भाग 1: शिवा" , संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म के लिए "कांतारा" और सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के लिए "किशोर कुमार: द अल्टीमेट बायोग्राफी" शामिल हैं ।
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