सुशासन के लिए राष्ट्रीय केंद्र ने आईआईटी कानपुर के सहयोग से सार्वजनिक नीति और सुशासन पर दूसरा वेबिनार आयोजित किया

 एनसीजीजी ने 24 अक्टूबर 2024 को आईआईटी कानपुर के सहयोग से सार्वजनिक नीति और सुशासन पर वेबिनार श्रृंखला का अपना दूसरा वेबिनार पूरा किया। वेबिनार की अध्यक्षता सुशासन के लिए राष्ट्रीय केंद्र (एनसीजीजी) में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव और महानिदेशक श्री वी. श्रीनिवास ने की।वेबिनार के लिए दो माननीय वक्ता थे। वेबिनार के पहले वक्ता भारत सरकार के पूर्व रक्षा सचिव और आईआईटी कानपुर के प्रतिष्ठित विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार और वेबिनार के दूसरे वक्ता आईआईटी कानपुर में आर्थिक विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर विमल कुमार रहे।डॉ. अजय कुमार ने सार्वजनिक नीति में चुनौतियों पर उद्बोधन दिया, जिसमें नीति निर्माण में भारत सरकार की भूमिका पर प्रकाश डाला गया और समय के साथ इसने नीति निर्माण में अपना दृष्टिकोण किस तरह बदला है। उनके व्याख्यान में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि सार्वजनिक नीतियों में बदलावों को चरणों में ठीक किया जाना चाहिए, भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण पर ध्यान देते हुए नई नीतियां बनाते समय आने वाली चुनौतियों को कम करने में डिजिटलीकरण के प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने निर्णय लेने के दौरान डेटा के इस्तेमाल पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने इस विषय पर जोर डाला कि नौकरशाहों और राजनेताओं के बीच नीति के प्रति दृष्टिकोण में अंतर होता है। उदाहरण के लिए, राजनेता चुनाव का पूर्वानुमान लगाते हैं और नौकरशाह जोखिम से दूर रहते हैं। नीति निर्माण की प्रक्रिया में विविध हितधारकों को शामिल किया जाना चाहिए। सार्वजनिक नीति में चुनौतियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने प्रगतिशील नीतियों को प्रोत्साहित करने जैसे समाधान भी बताए।

वेबिनार के दूसरे वक्ता आईआईटी कानपुर के आर्थिक विज्ञान के प्रमुख प्रोफेसर विमल कुमार थे, जिन्होंने प्लेटफॉर्म बिजनेस मॉडल और डिजिटल अर्थव्यवस्था में उसके रेगुलेशन पर अपना उद्बोधन दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान की शुरुआत एकल उत्पाद बनाने वाले कारीगरों से लेकर बड़े पैमाने पर उत्पादन तक भारत में व्यापार के इतिहास पर चर्चा करके की। उनके व्याख्यान ने किसी भी सफल व्यवसाय मॉडल के लिए नेटवर्क और प्लेटफॉर्म निर्माण के महत्व की भी बात की। उन्होंने पेमेंट नेटवर्क, सोशल मीडिया, अखबार जैसे पारंपरिक मीडिया, अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, ऐप्पल के ऐप स्टोर और अन्य सहित विभिन्न व्यावसायिक प्लेटफार्मों के विविध उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने एक मंच पर समूह और क्रॉस-ग्रुप के भीतर नेटवर्क पर भी प्रकाश डाला, जिसमें उन्होंने एट्रैक्शन लूप और एट्रैक्शन स्पिल ओवर के बारे में बताया। उन्होंने विषय पर अध्ययन के रूप में बीएमडब्ल्यू और उबर के बीच तुलना का उपयोग करते हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म की महत्ता के साथ अपने व्याख्यान का समापन किया।

वेबिनार का समापन एनसीजीजी की सह-प्राध्यापिका डॉ. हिमांशी रस्तोगी की ओर से दिए गए धन्यवाद प्रस्ताव से हुआ। डॉ. रस्तोगी ने राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के सभी प्रतिभागियों को हार्दिक धन्यवाद दिया। उन्होंने वेबिनार की अध्यक्षता करने के लिए डीएआरपीजी के सचिव और एनसीजीजी के महानिदेशक श्री वी. श्रीनिवास को भी धन्यवाद दिया।

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