लखनऊ: अब जितना चलेंगे, उतना ही टोल टैक्स देना होगा, एनएचएआइ का नई व्यवस्था पर ट्रायल


लखनऊ। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) जल्द ही टोल टैक्स व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है। अब वाहन चालकों को राजमार्ग पर जितनी दूरी तय करनी होगी, उन्हें उतने ही टोल टैक्स का भुगतान करना होगा। यह नई व्यवस्था सबसे पहले लखनऊ से अयोध्या के बीच ट्रायल के तौर पर लागू की जाएगी। यदि यह ट्रायल सफल रहता है, तो इसे देश के अन्य राजमार्गों पर भी लागू किया जाएगा।

कैसे काम करेगा यह नया टोल सिस्टम?

इस नई प्रणाली में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसके तहत टोल टैक्स स्वचालित रूप से कटेगा। लखनऊ से अयोध्या के बीच लगभग 120 किमी की दूरी में वाहन चालकों के लिए यह सिस्टम लागू किया जा रहा है। जैसे ही वाहन राजमार्ग पर प्रवेश करेगा और आगे बढ़ेगा, GPS के माध्यम से वाहन की यात्रा की गई दूरी का पता लगाया जाएगा। इस दूरी के आधार पर ही टोल टैक्स की गणना होगी और ऑटोमेटिक तरीके से टैक्स कट जाएगा।

सैटेलाइट की मदद से टोल टैक्स की गणना

इस नई प्रणाली की खासियत यह है कि इसमें सेटेलाइट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। सेटेलाइट के जरिए वाहन की लोकेशन और ट्रैवल की गई दूरी को ट्रैक किया जाएगा। जैसे-जैसे वाहन आगे बढ़ता जाएगा, उसी हिसाब से टोल की गणना की जाएगी। इस प्रक्रिया में न तो अतिरिक्त समय की जरूरत होगी और न ही वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता पड़ेगी।

क्या होंगे इसके फायदे?

  1. समय की बचत: इस प्रणाली में वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी, जिससे समय की बचत होगी।

  2. फेयर पेमेंट सिस्टम: अब जितनी दूरी वाहन तय करेगा, उतना ही टोल देना होगा। इससे वाहन चालकों को अधिक भुगतान करने से बचाया जा सकेगा, और अनावश्यक खर्च भी कम होगा।

  3. पारदर्शिता: इस प्रणाली से टोल में पारदर्शिता आएगी। वाहन चालक अब देख सकेंगे कि उन्होंने कितनी दूरी तय की और उस पर कितना टोल टैक्स लगाया गया है।

  4. यातायात में सुधार: टोल प्लाजा पर जाम की समस्या से भी निजात मिलेगी, जिससे राजमार्ग पर यातायात बेहतर होगा।

शुरुआत लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग से

लखनऊ से अयोध्या के बीच यह सिस्टम ट्रायल के रूप में शुरू किया जा रहा है। इस ट्रायल के दौरान सरकार इसकी व्यवहारिकता, तकनीकी समस्याएं, और इस प्रणाली से जुड़े अन्य पहलुओं का परीक्षण करेगी। यदि ट्रायल सफल रहता है और इसके परिणाम सकारात्मक आते हैं, तो इस सिस्टम को अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी लागू किया जाएगा।

NHAI का उद्देश्य

इस नई प्रणाली का उद्देश्य है कि राजमार्गों पर टोल टैक्स व्यवस्था को अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी बनाया जा सके। NHAI का मानना है कि इस नई व्यवस्था से राजमार्गों पर वाहनों का निर्बाध आवागमन सुनिश्चित होगा और यात्री आसानी से गंतव्य तक पहुंच सकेंगे। साथ ही, टोल प्लाजा पर भीड़ कम होने से समय और ईंधन दोनों की बचत होगी।

फास्टैग की जगह GPS आधारित टोल प्रणाली

वर्तमान में टोल प्लाजा पर वाहनों से टोल वसूली के लिए फास्टैग का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, इस नई GPS आधारित प्रणाली में फास्टैग की जगह सैटेलाइट के जरिए टोल टैक्स की गणना की जाएगी, जो कि अधिक आधुनिक और सुविधाजनक है।

यह नई व्यवस्था भारतीय सड़कों पर डिजिटल प्रगति का एक और कदम साबित हो सकती है।

Post a Comment

أحدث أقدم

प्रेस विज्ञप्ति व विज्ञापन के लिये ,हमें ईमेल करे editordharasakshi@gmail.com